विश्वविद्यालयी शिक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की वर्तमान में प्रासंगिकता हेतु संभावनाओं पर अध्ययन
(Study on the Possibilities for Current Relevance of the National Education Policy 2020 in the context of university education)
Naresh Kumar Paliwal
Principal, M. V. M. T. T. College, Pratapgarh, Rajasthan, India.
*Corresponding Author E-mail: dr.manojsinghcoll.principal@gmail.com
ABSTRACT:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन का एक व्यापक दस्तावेज़ है। इसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक समावेशी, आधुनिक, और गुणवत्तापूर्ण बनाना है। इस नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शोध और नवाचार पर बल देना है, जो विश्वविद्यालयी शिक्षा में सुधार और अनुसंधान संस्कृति के निर्माण हेतु मार्गदर्शक है।
KEYWORDS: शोध कार्य, विश्वविद्यालयी शिक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, अनुसंधान संस्कृति, इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच, नवाचार, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन, छत्थ् शिक्षा में सुधार, शोध फंडिंग, बहुविषयक शिक्षा, उच्च शिक्षा, शोध प्रोत्साहन, अनुसंधान संभावनाएं, शोध और नवाचार, नीति क्रियान्वयन, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, उद्योग-शिक्षा सहयोग, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध का महत्व, शोध-आधारित पाठ्यक्रम, शिक्षा प्रणाली सुधार, शोध परिणाम उपयोगिता, शोध चुनौतियां, स्थानीय समस्याएं, ग्लोबल समस्याएं, शोध नीति।
प्रस्तावना:-
यह शोध पत्र नई शिक्षा नीति 2020 के लिए संदर्भित है, जो मुख्यतः शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना की गई है, जो इसकी परंपरा, संस्कृति, मूल्यों और लोकाचार में परिवर्तन लाने में अपना बहुमूल्य योगदान देने को तत्पर है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य बिना किसी भेद भाव के प्रत्येक व्यक्ति को बढ़ने और विकसित होने के लिए एक सामान अवसर प्रदान करना है तथा विद्यार्थियों में ज्ञान, कौशल, बुद्धि और आत्मविश्वास का सर्जन कर उनके दृष्टिकोणों का विकास करना है। इस शोधपत्र में शोधकर्ता द्वितीयक आंकड़ों के माध्यम से जो गुणात्मक स्तरों पर आधारित है नई शिक्षा नीति की वास्तविक मूक विशेषताओं को दर्शाना चाहता है। उपर्युक्त विश्लेषित तथ्यों के आधार पर शोधकर्ता, इस शोधपत्र के माध्यम से अनेक सुझावों को प्रस्तुत करता है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए आती आवश्यक है।
गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का उद्देश्य, ऐसे व्यक्तियों का विकास करना होना चाहिए जो उत्कृष्ट, विचारशील और अच्छी रचनात्मक प्रवत्ति के हों। यह एक व्यक्ति को रुचि के एक या एक से अधिक विशिष्ट जैसे विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषा, व्यक्तिगत, तकनीकी, व्यावसायिक विषयों सहित क्षेत्रों में गहराई से अध्ययन करने और चरित्र, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा भावना और 21 वीं सदी के कौशल को आवश्यक सीमा तक विकसित करने में सक्षम बनाती है। नई शिक्षा नीति वर्तमान प्रणाली में कुछ मौलिक परिवर्तन लाती है, और इसमें मुख्य आकर्षण बहु-विषयक विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं, जिसमे प्रत्येक जिले में या उसके पास कम से कम एक छात्र पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, बेहतर छात्र अनुभव के लिए मूल्यांकन और समर्थन, एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान शामिल है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उत्कृष्ट सहकर्मी-समीक्षा कार्य और प्रभावी ढंग से बीज अध्ययन का समर्थन करेगी।
नई शिक्षा नीति 2020 पांच स्तंभों पर केंद्रित हैः वहनीयता, अभिगम्यता, गुणवत्ता, न्यायपरस्ता और जवाबदेही - निरंतर सीखने की प्रकिर्या को सुनिश्चित करने के लिए। इसे समाज और अर्थव्यवस्था में ज्ञान की मांग के रूप में नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया है, जिससे नियमित आधार पर नए कौशल हासिल करने की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। इस प्रकार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसर पैदा करना, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 2030 में सूचीबद्ध पूर्ण और उत्पादक रोजगार और अच्छे काम की ओर अग्रसर होना, नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है। नई शिक्षा नीति 2020 ने पिछली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ली है और 2040 तक भारत में प्राथमिक और उच्च शिक्षा दोनों को बदलने के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार किया है। नई शिक्षा नीति 2020 स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों में महत्वपूर्ण सुधारों की मांग करती है जो अगली पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए तैयार करती हैं जिससे वो नए डिजिटल युग में प्रतिस्पर्धा कर सके। इस प्रकार, नई शिक्षा नीति बहु-विषयकता, डिजिटल साक्षरता, लिखित संचार, समस्या-समाधान, तार्किक तर्क और व्यावसायिक प्रदर्शन पर अत्यधिक प्रभाव डालती है।
विषय का महत्व: भारत में शोध कार्य की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य देशों की अपेक्षा कमजोर रही है। NEP 2020 ने इस स्थिति को सुधारने के लिए कई पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है, जैसे: -
· शोध संस्कृति का विकास: विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध-अनुकूल वातावरण तैयार करना।
· गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: शिक्षण पद्धतियों और पाठ्यक्रम में बदलाव करके शिक्षा का स्तर बढ़ाना।
· रिसर्च फंडिंग और सहयोग: अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता और उद्योगों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना।
· राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NEP) की स्थापना: गुणवत्तापूर्ण और समर्पित अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए।
शोध कार्य के उद्देश्य:-
· विश्वविद्यालयी शिक्षा में NEP 2020 के अनुसंधान संबंधित प्रावधानों का अध्ययन।
· नीति के तहत उपलब्ध संभावनाओं और उनके क्रियान्वयन की जांच करना।
· शिक्षा प्रणाली में शोध की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना।
· विश्वविद्यालयों में शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपायों की पहचान करना।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु:-
NEP 2020 में अनुसंधान के प्रावधान:
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन: उच्च-गुणवत्ता शोध को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता। सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को हल करने के लिए शोध परियोजनाओं पर ध्यान। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन भारत में अनुसंधान और नवाचार को नई दिशा देने की क्षमता रखता है। यह फाउंडेशन न केवल भारत की स्थानीय समस्याओं को हल करने में मदद करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाएगा। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से भारत न केवल ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा, बल्कि एक आत्मनिर्भर और नवाचारी राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
NEP का उद्देश्य:-
गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को प्रोत्साहन: विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान को सुदृढ़ करना। बहुविषयक और अंत: विषय अनुसंधान को बढ़ावा देना।
स्थानीय और वैश्विक समस्याओं पर शोध: भारत की प्राथमिक समस्याओं जैसे स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, जलवायु परिवर्तन, और ऊर्जा पर शोध कार्य को प्रोत्साहित करना।
शोध और नवाचार का विस्तार: छात्रों और शिक्षकों के बीच शोध संस्कृति का विकास। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी शोध परियोजनाओं का समर्थन।
सरकार, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच समन्वय: शोध परियोजनाओं में उद्योग और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना। सरकारी नीतियों और निर्णयों को अनुसंधान से जोड़ना।
NEP के प्रमुख कार्य:-
अनुसंधान फंडिंग का प्रबंधन: शोधकर्ताओं और संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना। बहुविषयक अनुसंधान परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करना।
उच्च-गुणवत्ता वाले शोध को प्रोत्साहन: शोधकर्ताओं और संस्थानों को गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य के लिए प्रेरित करना। विश्वविद्यालयों में अनुसंधान प्रयोगशालाओं और उपकरणों को बेहतर बनाना।
राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार अनुसंधान का मार्गदर्शन: ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता देना जो भारत की जमीनी समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकें। उद्योग और सरकार के लिए उपयोगी शोध।
शोध परिणामों का उपयोग: शोध परिणामों का उपयोग नीतिगत फैसलों में करना। उद्योगों के लिए व्यावहारिक और उत्पादक समाधान प्रदान करना।
रिसर्च नेटवर्किंग: देश भर में शोधकर्ताओं और शिक्षण संस्थानों का नेटवर्क तैयार करना। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देना।
NEP का महत्व:-
शोध संस्कृति का विकासः भारत में अनुसंधान के लिए वातावरण तैयार करना। छात्रों को शोध और नवाचार के लिए प्रेरित करना।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार: NEP भारत को शीर्ष शोधकर्ताओं और अनुसंधान संस्थानों के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने में मदद करेगा। भारत को अनुसंधान और नवाचार में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
स्थानीय समस्याओं का समाधान: भारत की समस्याओं के अनुसार समाधान तैयार करना जैसे पानी की कमी, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और हरित ऊर्जा।
उद्योग और शिक्षा के बीच पुल: अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से उद्योगों की समस्याओं का समाधान।
विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच साझेदारी बढ़ाना।
इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच: शोध को केवल एक विषय तक सीमित रखने के बजाय विभिन्न विषयों को जोड़ने का प्रावधान। इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच शिक्षा और अनुसंधान में क्रांति ला सकती है। यह न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं को वैश्विक समस्याओं के समाधान में सक्षम बनाएगा, बल्कि उन्हें रोजगार के लिए भी तैयार करेगा। NEP 2020 द्वारा इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच पर दिया गया बल भारत को एक नवाचार-संचालित और सतत विकासशील राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इसे प्रभावी बनाने के लिए सभी हितधारकों का सहयोग और प्रयास आवश्यक है।
इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच का महत्व:-
समग्र ज्ञान का विकास: यह छात्रों को विभिन्न विषयों से जुड़ी अंतर्दृष्टियों का समन्वय करने की अनुमति देता है, जिससे वे समग्र और गहन ज्ञान प्राप्त करते हैं।
जटिल समस्याओं का समाधान: आज की समस्याएं, जैसे जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, शहरी विकास, और ऊर्जा संकट, एकल विषयों के दृष्टिकोण से हल नहीं हो सकतीं। इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच इन समस्याओं को बहु-आयामी रूप से हल करने में मदद करता है।
रचनात्मकता और नवाचार: विभिन्न विषयों के संयोजन से रचनात्मकता बढ़ती है और नए विचार उत्पन्न होते हैं।
व्यावसायिक कौशल का विकास: यह छात्रों को उद्योग और समाज में उपयोगी बनने के लिए विभिन्न विषयों का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा: वैश्विक स्तर पर, इंटरडिसिप्लिनरी शिक्षा और शोध उच्चतर रैंकिंग और प्रतिस्पर्धात्मकता में योगदान देता है।
NEP 2020 में इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच:-
शिक्षा प्रणाली में लचीलापन: NEP 2020 में छात्र को मल्टीपल एंट्री-एग्जिट विकल्प देने की बात कही गई है, जिससे छात्र अपनी रुचि और आवश्यकता के अनुसार विषय चुन सकते हैं। उदाहरण: एक छात्र विज्ञान के साथ कला या प्रबंधन विषय पढ़ सकता है।
विषयों का एकीकरण: इंजीनियरिंग, चिकित्सा, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, और मानविकी के बीच सहयोग।
उदाहरण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानविकी का अध्ययन समाज में तकनीकी प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए।
शोध में सहयोग: अनुसंधान परियोजनाओं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, और जीव विज्ञान जैसे विषयों के साथ-साथ समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र का समावेश। उदाहरणः स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी और सामाजिक कारकों का अध्ययन।
नई शिक्षा संरचनाएं: विश्वविद्यालयों में बहुविषयक संस्थानों की स्थापना। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का प्रावधान, जो विभिन्न विषयों के लिए समान नियम और मानक तैयार करेगा।
लोकल और ग्लोबल समस्याओं पर ध्यान: पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और सामाजिक विज्ञान का संयुक्त उपयोग। उदाहरणः सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान।
इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच के लाभ:-
ज्ञान की व्यापकता: छात्रों को ज्ञान के विभिन्न पहलुओं को समझने और उनके बीच संबंध स्थापित करने की क्षमता मिलती है। उदाहरणः भौतिकी और कला के संयोजन से उत्पाद डिजाइन और एनीमेशन में सुधार।
रोजगार के अवसर: उद्योगों में ऐसी प्रतिभाओं की मांग होती है, जो बहुविषयक ज्ञान रखते हों। उदाहरणः डेटा साइंटिस्ट, जो सांख्यिकी, कंप्यूटर विज्ञान और व्यापार ज्ञान का उपयोग करते हैं।
नवाचार को बढ़ावा: विषयों के मिश्रण से नए उत्पाद, सेवाएं, और तकनीक विकसित होती हैं। उदाहरणः चिकित्सा और प्रौद्योगिकी के संयोजन से रोबोटिक सर्जरी का विकास।
समाज के लिए प्रासंगिक शिक्षा: छात्रों को ऐसी शिक्षा दी जाती है, जो समाज की समस्याओं को हल करने में उपयोगी हो। उदाहरणः स्मार्ट सिटी डिज़ाइन में वास्तुकला, इंजीनियरिंग, और समाजशास्त्र का मिश्रण।
इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच को बढ़ावा देने के उपाय: पाठ्यक्रम को लचीला और विषय-समेकित बनाना। शिक्षकों को इंटरडिसिप्लिनरी पद्धतियों में प्रशिक्षित करना। फंडिंग और सहयोग के माध्यम से इंटरडिसिप्लिनरी शोध को बढ़ावा देना।
संसाधनों का विकास: विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में बहुविषयक प्रयोगशालाओं और केंद्रों की स्थापना।
छात्रों को प्रेरित करना: छात्रों को विभिन्न विषयों की संभावनाओं और उनके उपयोग के बारे में जानकारी देना।
स्थानीय और वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान: भारत की प्रासंगिक समस्याओं जैसे कृषि, स्वास्थ्य, और पर्यावरण पर शोध।
औद्योगिक और शैक्षणिक सहयोग: विश्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच साझेदारी के माध्यम से व्यावहारिक शोध को बढ़ावा।
विश्वविद्यालयी शोध की वर्तमान स्थिति:-
· भारत में शोध कार्य का वैश्विक परिदृश्य।
· शोधकर्ताओं और शोध कार्य के लिए उपलब्ध संसाधनों की कमी।
· शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई।
NEP 2020 के तहत संभावनाएं:-
· शोध के लिए बढ़ा हुआ फंड और संसाधन।
· नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा।
· वैश्विक विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी।
चुनौतियां: नीति के क्रियान्वयन में बाधाएं। शिक्षकों और शोधकर्ताओं की गुणवत्ता। प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व।
संभावनाओं का विश्लेषण:-
नए शोधकर्ता तैयार करना: NEP 2020 में प्रस्तावित प्रशिक्षकों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं और छात्रों को शोध में शामिल करने की संभावनाओं का अध्ययन।
स्थानीय समस्याओं के समाधान: भारत की जमीनी समस्याओं को हल करने वाले शोध कार्य की पहचान।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारतीय विश्वविद्यालयों को शीर्ष वैश्विक शोध संस्थानों के समकक्ष बनाने के उपाय।
सुझाव: शोध-आधारित पाठ्यक्रम का निर्माण। विश्वविद्यालयों में शोध के लिए सुविधाएं और आधारभूत ढांचा बढ़ाना। अनुसंधान गतिविधियों में उद्योगों की सक्रिय भागीदारी। नीतिगत योजनाओं का नियमित मूल्यांकन और सुधार।
निष्कर्ष:
NEP 2020 विश्वविद्यालयी शिक्षा में शोध को बढ़ावा देने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इसकी प्रासंगिकता न केवल आज के परिदृश्य में है, बल्कि यह भविष्य में एक मजबूत शिक्षा और अनुसंधान संस्कृति का निर्माण भी करेगी। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार, शिक्षण संस्थान और उद्योगों के बीच सामंजस्यपूर्ण सहयोग आवश्यक है।
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Received on 08.01.2025 Revised on 13.02.2025 Accepted on 22.03.2025 Published on 25.03.2025 Available online from March 27, 2025 Int. J. Ad. Social Sciences. 2025; 13(1):13-18. DOI: 10.52711/2454-2679.2025.00003 ©A and V Publications All right reserved
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